सोमवार, 24 मई 2010

बेरहमी से भुला दी शहादत

इसे विडम्बना कहें या कुछ और लेकिन आजादी के छह दशक बाद भी देश के लिए कुर्बानी देने वालों को वह सम्मान नहीं मिला है, जिनके वे वाजिब हकदार हैं। इसके उलट गुलाम भारत की ब्रिटिश फौज की ओर से लड़कर शहीद हुए सैनिकों की स्मृतियों को यहां पूरे मनोयोग से सजाया गया है। मामला मणिपुर की राजधानी इम्फाल से करीब 50 किलोमीटर दूर मोइरांग का है। उत्तर पूर्व में यह एक ऐतिहासिक स्थल है, जहां से आजाद हिन्द फौज (आईएनए) के सेनापति नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ 14 अप्रेल, 1944 को खुले सैनिक संघर्ष का ऐलान करते हुए नई दिल्ली के लिए कूच किया था। ब्रिटिश सैनिकों के साथ हुए संघर्ष में यहां आजाद हिन्द फौज के कई सैनिक शहीद हो गए लेकिन आजादी के बाद भी इन्हें शहीद होने तक का सम्मान नहीं मिला। मोइरांग में ब्रिटिश सैनिकों के तो स्मारक बने हुए हैं लेकिन यह सम्मान आजाद हिन्द फौज के सैनिकों का नामोनिशान तक नहीं है। हैरानी की बात यह भी है कि भारतीय सैनिक अंग्रेज फौज की ओर से लड़े उनके तो मोइरांग में स्मारक बना दिए गए लेकिन भारत माता की आजादी के लिए अपनी जान गंवाने वाले सपूतों को बिसरा दिया गया और यह आज तक जारी है। और तो और, ब्रिटिश फौज के लिए लड़े सैनिकों अथवा उनके परिजनों को आज तक पेंशन मिल रही है लेकिन भारतीय सैनिकों को पूरी तरह भुला ही दिया गया। देश को चलाने वाली नौकरशाही हो या लोकतंत्र के रक्षक होने का दंभ भरने वाले राजनीतिज्ञ, किसी को भी इस गलती को सुधारने की जरूरत महसूस नहीं हुई है। आज भी इस ओर ध्यान देने वाला कोई नहीं है। पड़ोसी देश म्यांमार की सीमा से लगते मणिपुर के मोइरांग में 1944 में आजाद हिन्द के सेनापति के रूप में सुभाष बाबू ने तिरंगा फहराया था। हाल ही में अखिल भारतीय पूर्व सैनिक सेवा परिषद ने स्वतंत्र भारत के ध्वज दिवस की 67वीं वर्षगांठ के अवसर पर 13 और 14 अप्रेल को उसी संघर्ष की याद में 'अ हिस्टोरिकल अकाउन्ट ऑफ मोइरांग इन द फ्रीडम स्ट्रगल ऑफ इंडिया' विषय पर दो दिवसीय आयोजन किया। इसे नेताजी सुभाष मोइरांग उत्सव नाम दिया गया। इस सम्मेलन में उत्तर-पूर्वी राज्यों, राजस्थान, केरल, कर्नाटक, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड, गुजरात, महाराष्ट्र, बिहार, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली, जम्मू-कश्मीर सहित देशभर के 14 राज्यों से 252 पूर्व सैनिक और उनके परिजन जुटे। राजस्थान के पूर्व सैनिकों में आज भी नेताजी की स्मृति ताजा है और उन्हें याद करने के लिए प्रदेश से भी पूर्व सैनिक पहुंचे। इसमें जयपुर के सम्पर्क प्रमुख हवलदार हरबंसलाल भूटानी, कैप्टन हनुमान सिंह, कैप्टन रामेश्वर प्रसाद, सूबेदार गोपीनाथ शर्मा अलावा संघ के विभाग संघचालक गोविन्द अरोड़ा, शिव कुमार, सुरेश कुमार, बालकिशन शर्मा, देवेन्द्र समेत 21 पूर्व सैनिकों ने भाग लिया। इस उत्सव में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पदाधिकारी इन्द्रेश कुमार ने भी भाग लिया। अखिल भारतीय पूर्व सैनिक सेवा परिषद के राष्ट्रीय संगठन मंत्री कर्नल महेश गांधी ने बताया कि यह आयोजन उन भारतीय हुतात्माओं की अतुलनीय आहुति को याद करने के लिए किया गया था और सरकार को याद दिलाने के लिए था कि इतनी बड़ी गलती अब तो ठीक की जाए। साथ ही इसमें आजादी के संघर्षों के कई अनछुए पहलुओं पर भी विचार किया गया। पिछले तीन साल से लगातर पूर्व सैनिक सेवा परिषद यहां पर शहीदों की याद में कार्यक्रम करती रही है।

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